hdsfiuhsifisdf97ts97eeg

ग़ालिब के नाम पर राज्यसभा में पता नहीं किसका शेर सुना गए पीएम नरेंद्र मोदी

एक देश एक चुनाव से लेकर झारखंड की लिंचिंग तक प्रधानमंत्री ने हर मुद्दे का राज्यसभा में जवाब दिया. इस दौरान सदन में पीएम मोदी का शायराना अंदाज भी दिखा, उन्होंने एक शेर सुनाया.

...जब राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने सुनाया शेर...जब राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने सुनाया शेर
नई दिल्ली, 26 जून 2019, अपडेटेड 17:27 IST
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर खुलकर वार किया. बुधवार को राज्यसभा में ‘एक देश-एक चुनाव’ से लेकर ‘झारखंड की लिंचिंग’ तक प्रधानमंत्री ने हर मुद्दे पर जवाब दिया. इस दौरान सदन में पीएम मोदी का शायराना अंदाज भी दिखा, उन्होंने एक शेर सुनाया. और कहा कि ये बात मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब ने कही थी. हालांकि, अगर फैक्ट को देखें तो वह शेर ग़ालिब का नहीं है बल्कि सोशल मीडिया की उपज है.
राज्यसभा में जब प्रधानमंत्री कांग्रेस पर हमला बोल रहे थे, तब उन्होंने एक शेर सुनाया. पीएम ने कहा.. शायद इसीलिए ग़ालिब ने कहा है..
‘ताउम्र ग़ालिब ये भूल करता रहा,
धूल चेहरे पर थी आईना साफ करता रहा’.
अगर ग़ालिब के शेरों पर नज़र डालें तो ये उनका है ही नहीं. प्रधानमंत्री के शेर सुनाने के बाद सोशल मीडिया पर इस पर चर्चा शुरू हुई और लोगों ने भी पीएम की इस गलती को उजागर किया.
इतना ही नहीं बॉलीवुड लेखक और मशहूर शायर जावेद अख्तर ने भी ट्वीट किया. जावेद अख्तर ने लिखा कि जो शेर राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुनाया है, वह ग़ालिब का है ही नहीं. वह सोशल मीडिया में गलत तरीके से फैलाया गया है. उन्होंने ये भी लिखा कि शेर की दोनों ही लाइनें शायरी के मीटर में सही तरीके से नहीं उतरती हैं.

दरअसल, सोशल मीडिया पर इस तरह के कई शेर वायरल किए जाते हैं, जिन्हें ग़ालिब का होने का दावा किया जाता है. ना सिर्फ ग़ालिब बल्कि दुष्यंत कुमार या फिर हरिवंश राय बच्चन के नाम पर भी बहुत-सी गलत कविताएं सोशल मीडिया पर वायरल होती रही हैं.
हाल ही में खुद अमिताभ बच्चन भी इस गलती का शिकार हुए थे, जब उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल एक कविता को अपने पिता हरिवंश राय बच्चन के नाम पर साझा कर दिया था.



















































































Comments

Popular posts from this blog

dfdssfvdsvdssdff

deniufedsiygfiygdsiyfg8iwsdgi8f7tw8dgfi9

ffygigihiholhlohlohlohlolj